‘दार्जिलिंग’ भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक अत्यंत खूबसूरत शहर है, जो दार्जिलिंग जिले का मुख्यालय भी है ! दार्जिंलिंग को ‘पहाड़ो की रानी’ भी कहा जाता है ! दार्जिलिंग की हिमालयन रेलवे को युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है, साथ ही यह शहर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की चाय के लिए प्रसिद्ध है ! गर्मियों की छुट्टी को बिताने के लिए यह भारत के खूबसूरत स्थानों में से एक है, जहाँ हर वर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं !
‘दार्जिलिंग’ की खोज उस समय हुई थी, जब आंग्ल-नेपाल युद्ध के दौरान एक ब्रिटिश सैनिक टुकड़ी सिक्किम जाने के लिए सबसे छोटा रास्ता तलाश रही थी। इस रास्ते से होकर सिक्िकम तक जाना अत्यंत आसान था, जिसके कारण यह स्थान ब्रिटिशों के लिए रणनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण था। इसके अलावा यह स्थान प्राकृतिक रूप से अत्यंत खूबसूरत होने के कारण तथा अपने ठण्डे वातावरण एवं बर्फबारी के लिए भी अंग्रेजों के मुफीद था। इस वजह से ब्रिटिश लोग यहां यहाँ धीरे-धीरे बसने लगे।
प्रारंभ में दार्जिलिंग सिक्किम का एक भाग था, लेकिन बाद में भूटान ने इस पर कब्जा कर लिया था। हालांकि कुछ समय बाद सिक्किम ने इस पर पुन: कब्जा कर लिया, परंतु 18 वीं शताब्दी में सिक्किम ने पुन: इसे नेपाल के हाथों गवां दिया। उसके बाद नेपाल भी इस पर ज्यादा समय तक अधिकार नहीं रख पाया, और 1817 ई. में हुए आंग्ल-नेपाल युद्ध में हार के बाद नेपाल को इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपना पड़ा था।
वर्तमान में दार्जिलिंग पश्िचम बंगाल राज्य का एक जिला है। त्रिभुजाकर रूप में बसा यह शहर 3149 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। तथा इसका उत्तरी भाग नेपाल और सिक्किम से सटा हुआ है। यहां शरद ऋतु में (अक्टूबर से मार्च तक) अत्यधिक ठण्ड रहती है, तथा यहां ग्रीष्म ऋतु में (अप्रैल से जून तक) मौसम हल्का ठण्डापन लिए अत्यंत सुहाना होता है। इसीलिए ग्रीष्म काल में ही यहां अधिकांश पर्यटक आते हैं।
दार्जिलिंग में घूमने के लिए कई खूबसूरत स्थान हैं, जिनमे टाइगर हिल्स, कालिंपोंग, दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन, जापानी मंदिर, बतासिया लूप, और यहाँ के चाय बागान प्रमुख हैं !
टाइगर हिल्स (Tiger Hills) : टाइगर हिल्स, दार्जिलिंग शहर से 14 किलोमीटर दूर 8482 फीट की ऊचाई पर स्थित है। यहाँ आनेवाले पर्यटकों के लिए यह बहत ही सुंदर दर्शनीय स्थल है। इस हिल पर चढ़ाई करने में बहुत ही ज्यादा आनदं का अनुभव होता है। साथ ही इसके पास बर्फ से ढकी कंचनजंघा की पहाडियों के पीछे से सूर्योदय का आकर्षक नजारा भी देखने को मिलता है। इसके अलांवा यहाँ से आप विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत माउंट एवेरस्ट की चोटी को भी देख सकते हैं।
दार्जिलिंग टॉय ट्रेन (Darjeeling Toy Train) : यदि आप दार्जिलिंग आये और आपने यहाँ टॉय ट्रेन का मजा नहीं लिया तो यकीं मानिये आपने कुछ नहीं देखा। दार्जिलिंग में टॉय ट्रेन से आप प्राकृतिक नजारों का जबरदस्त लुत्फ उठा सकते है। यह जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक 78 किलोमीटर के लम्बे ट्रैक पर टेढ़े-मेढ़े रास्तो से गुजरते हुए आपकी छुट्टियों के हर पलों को यादगार बनाता है। यह ट्रेन अपने मार्ग से गुजरते हुए बतासिया लूप पर सबसे ज्यादा खूबसूरत लगती है, क्युकी यहाँ पर यह आठ के आकार में घूमती है।
पीस पगोडा मंदिर (Peace Pagoda Temple) : यह दार्जिलिंग शहर से 10-15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर जापानी मंदिरों की तरह सफ़ेद पत्थर से व गोल आकृति में बनवाया गया है। इसकी स्थापना विश्व में शांति लाने के लिए की गयी थी। इस मंदिर से समूचे दार्जिलिंग और कंचनजंघा का सुंदर नजारा देखने को मिलता है।
बतासिया लूप (Batasiya Loop) : यह दार्जिलिंग से 5 किलोमीटर की दुरी पर टॉय ट्रेन मार्ग पर बना इंजीनियरिंग का बेहतरीन रूप है। यहाँ से गुजरते हुए टॉय ट्रेन सबसे ज्यादा खूबसूरत लगती है, क्युकी यहाँ पर यह आठ के आकार में घूमती है। साथ ही यहाँ देश की आजादी में अपने प्राण न्योछावर करने वालो की याद एक खूबसूरत स्मारक भी बनाया गया है।
चाय के बागान (Tea Gardens) : चाय के लिए दार्जिलिंग पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, यहाँ की चाय सबसे महंगी और बहुत ही खुशबूदार मानी जाती है। जितनी स्वादिष्ट यहाँ की चाय होती है, उतने ही सुन्दर यहाँ के चाय के बागान हैं। यहाँ के सभी उद्यानों की चाय अलग – अलग किस्म की होती है।
कैसे पहुंचे : दार्जिलिंग आने के लिए यहाँ का सबसे पास का हवाई अड्डा बागडोगरा (सिलीगुड़ी) है जो की दार्जिलिंग से लगभग 90 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है, यहाँ से आप टैक्सी लेकर दार्जिलिंग पहुंच सकते हैं ! यदि आप यहाँ ट्रेन से आना चाहते है, तो जलपाईगुड़ी यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, यहाँ से भी आप टैक्सी लेकर आसानी से दार्जिलिंग पहुंच सकते हैं !
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